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जन लोकपाल विधेयक और अन्ना हजारे का आमरण अनशन

अकेली जिंदगी की दास्तां
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जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं. अन्ना हजारे चाहते हैं कि सरकार जन लोकपाल बिल तुरंत लाए, लोकपाल की सिफारिशें अनिवार्य तौर पर लागू हों और लोकपाल को जजों, सांसदों, विधायकों आदि पर भी मुकदमा चलाने का अधिकार हो. उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ ये मुहिम देशव्यापी है और धीरे-धीरे इसे देश के प्रबुद्ध वर्ग सहित आमजन का समर्थन हासिल होता जा रहा है. उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार आज पूरे भारत का सबसे गंभीर मुद्दा बन चुका है. सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचारियों को समर्थन देने की नीति से जनता संत्रस्त है और चारो ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है. हर कोई चाहता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी मुहिम छेड़ी जाए. बाबा रामदेव सहित कुछ अन्य हस्तियों ने इस दिशा में पहल शुरू कर दी है अतः अब जरूरत है जनता की सीधी भागीदारी की ताकि छद्म जाल बिछा कर देश के साथ विश्वासघात करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की पृष्ठभूमि तैयार की जा सके. आइए जानते हैं उस जन लोकपाल विधेयक के बारे में जिसके लिए अन्ना हजारे संघर्ष कर रहे हैं.


क्या है जन लोकपाल विधेयक (Jan Lokpal Bill)


1. जन लोकपाल विधेयकके अंतर्गत, केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त के गठन का विधान है.

2. जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल द्वारा बनाया गया यह विधेयक लोगों के द्वारा वेबसाइट पर दी गयी प्रतिक्रिया और जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार  किया गया है.

3. जन लोकपाल संस्था निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी. कोई भी नेता या सरकारी आधिकारी जांच की प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर पाएगा.

4. इस बिल को शांति भूषण, जे. एम. लिंगदोह, किरण बेदी, अन्ना हजारे आदि का भारी समर्थन प्राप्त हुआ है.

5. सीवीसी, सीबीआई  की भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एंटी करप्शन विभाग) का लोकपाल में विलय कर दिया जाएगा. लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने व मुकदमा चलाने के लिए पूर्ण शक्ति और व्यवस्था होगी.

6. लोकपाल के  सदस्यों  का चयन जजों, नागरिकों और संवैधानिक संस्थाओं द्वारा किया जाएगा. इसमें किसी भी नेता की कोई भागीदारी नहीं होगी.  इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से, जनता की भागीदारी से होगी.


इस बिल की मांग है कि भ्रष्टाचारियों  के खिलाफ किसी भी मामले की जांच एक साल के भीतर पूरी की जाए. जांच एक साल के अन्दर पूरी होगी और दो साल के अन्दर-अन्दर भ्रष्ट नेता व आधिकारियों को सजा सुनाई जाएगी. इसी के साथ ही भ्रष्टाचारियों का अपराध सिद्ध होते ही सरकार को हुए घाटे की वसूली की जाए.


हालांकि ये एक शुरुआत है जिसे अभी ज्यादा समर्थन नहीं मिला है लेकिन भ्रष्टाचार मिटाने के मुद्दे को पूरे देश का समर्थन क्योंकर नहीं मिलेगा? बस आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी अपनी आंखें खुली रखें और निरंतर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहें.

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