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एक काबिल आदमी – बेचारा

अकेली जिंदगी की दास्तां
अकेली जिंदगी की दास्तां
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कहा जाता है कि जो सच बोलते हैं उनकी मासूमियत और ईमानदारी के बारे में कोई संदेह नहीं किया जाना चाहिए और जो झूठ के सहारे चलते हैं उनकी किसी बात का भरोसा नहीं करना चाहिए. लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य देखिए कि उसे ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जिस पर आमजन को तरस और शर्म दोनों एक साथ आती है. हमारे प्रधानमंत्री कुछ अनोखे हैं जिन्हें परिवार भक्ति विरासत में मिली हुई है. परिवार के मुखिया का चरण रज लिए बिना वे अन्न जल ग्रहण करना हराम मानते हैं और परिवार की मर्जी के खिलाफ एक लफ्ज़ निकालना पाप.


हैरत होती है कि हमारे प्रधानमंत्री का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में क्यूं नहीं शामिल किया गया जबकि वे इसके पूर्ण हकदार है और बड़े ही फक्र से वे इसकी घोषणा भी करते रहे हैं. आज्ञाकारिता और लॉयलटी में वे बेजोड़ हैं, निर्जीव भूमिका निभाने के माहिर उस्ताद जो किसी भी सक्षम राष्ट्र का बेड़ा गर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ते.


घाघ प्रधानमंत्री कहना गलत नहीं होगा. घाघ यानि कि एक ऐसा व्यक्तित्व जो लाज-शर्म बेच कर खा जाए.  एक बेहया इंसान जिसे अपने दायित्वों का ज्ञान ना हो, एक ऐसी शख्सियत जिसे हाई कमान को छोड़कर अन्य किसी जिम्मेदारी का एहसास ना हो और किसी भी समस्या को सुलझाने का निराला अंदाज जिसकी अदा हो. वे अपनी इसी निराली अदा को दिखाते हुए सारी समस्या पर चुप्पी साध लेते हैं या गैर-जानकारी का ढोंग रचते हैं.


उनके जलवे किसी को सितम लगें तो उसकी बला से, भाड़ में जाए वो लेकिन उनके कानों में अन्य कोई आवाज नहीं जाती सिवा हाई कमान या परिवार के. कितने भले हैं वो जिन्हें भ्रष्टाचार की कानोकान खबर नहीं होती और बड़े-बड़े घोटाले अंजाम दे दिए जाते हैं. उन्होंने अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखी अपराधियों को बचाने की लेकिन कुछ खुराफाती कहीं ना कहीं मामला लीक कर देते हैं और जान पर बन आती है बेचारे प्रधानमंत्री की.


देश का मुखिया कैसा हो, मनमोहन सिंह बेचारे जैसा हो. अब देशवासी ऐसे दुर्लभ व्यक्तित्व का स्वामी कहॉ पाएंगे. दुआ है देश की – बने रहें आप और करते रहें करामात.

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