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एक घटना से शुरुआत कर रही हूं जो अभी मेरी कॉलोनी में घटी है. मेरे फ्लैट से थोड़ी दूर एक सक्सेना परिवार रहता है जिनके बेटे की शादी 2 साल पहले हुई थी. लड़का इंजीनियर था सो बड़ी धूमधाम से सुन्दर लड़की देख के शादी की गयी. लड़की बेहद तीखे नैन-नक्श वाली है. मेरी कई बार उससे बात हुई लेकिन उसके तेवर हमेशा कुछ अलग ही बानगी बयां करते थे.
उसका पति यानी सक्सेना परिवार का लड़का सीधा और अपनी पत्नी पर जान छिड़कने वाला था. लेकिन लड़की के रुख को देखकर शुरू से ही लग रहा था कि वो जरूर कुछ गड़बड़ करेगी. अभी लगभग एक महीने पहले अचानक पुलिस को सक्सेना जी के यहॉ देखकर मैं चौंकी. मुझे लगा जरूर कोई गंभीर बात है तभी इतनी लाव-लश्कर सहित पुलिस यहॉ मौजूद है.
लड़का उस समय ऑफिस के काम से बाहर गया हुआ था तो पुलिस उसके पिता को पकड़ ले गयी. पता चला कि लड़की ने उत्पीड़न की कंप्लेन दर्ज करा रखी है. मैं उनके घर गयी वहॉ उसकी सास रोती हुई मिलीं. मैंने पूछा तो उन्होंने कहा कि न्याय ईश्वर करेगा कि कौन किसका उत्पीड़न कर रहा है. खैर मैं तुरंत तो वापस आ गयी लेकिन दिल ने कहा कि उस लड़की से पूछ कर देखा जाए कि आखिर क्या मामला है. अगले दिन शाम को जब मैं शॉपिंग के लिए निकली तो वो लड़की बड़ी प्रसन्न मुद्रा में मॉल में मिल गयी. लेकिन मेरी हैरत का ठिकाना उस समय नहीं रहा जबकि मैंने उसे एक नौजवान के साथ हंसते-खिलखिलाते देखा.
मैं शॉक्ड थी. थोड़ी विचलित भी किंतु मैंने फैसला कर लिया कि अब तो हकीकत जान के रहुंगी. मुझे फिर दो दिन बाद वो नेहरू प्लेस के पास मिल गयी तो मैंने उसे रोक लिया. मैंने सीधे उससे हकीकत बताने को कहा और उसने जवाब भी बड़ी बेबाकी से दिया. लीजिए आप भी सुनिए उसका जवाब: मैं मॉडर्न हूं लेकिन ससुराल वाले दकियानूस. मेरे ऊपर अपनी बंदिशें थोपते रहते हैं. मुझे तलाक चाहिए तो उसका सबसे अच्छा तरीका यही है कि उन्हें फंसा दिया जाए. डर के तलाकनामे पर दस्तखत कर ही देंगे………….इतना कह के बड़ी कुटिल मुस्कराहट से वह वहॉ से चली गयी.
मैं सोचने लगी कि शायद अधिकारों की अधिकता ने हमें ऐसी बना दिया है. जो लोग स्त्रियों को अंधाधुंध अधिकार दिए जाने के समर्थक हैं उन्हें इस पर भी विचार करना चाहिए कि दुश्चरित्र और कुलटा स्त्रियों को कैसे नियंत्रित किया जाए. कई बार उनके लालच या पागलपन से कई परिवार अपनी इज्जत गवा देते हैं और जिंदगी भर मुंह छुपा के जीने को अभिशप्त हो जाते हैं. कानून का मखौल उड़ाती ऐसी घटनाएं गवाह हैं इस बात की कि बिना कर्तव्य के अधिकार कई बार हमारे लिए खतरनाक हो जाते हैं.
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