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समानता की बजाय सम्मान की हसरत

अकेली जिंदगी की दास्तां
अकेली जिंदगी की दास्तां
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दिल्ली हो या देश का कोई और शहर हर जगह लड़कियों से छेड़छाड़ और बलात्कार की घटना सामान्य सी बात है. कोई भी ऐसा कोना आप बता सकते हैं जहॉ लड़की सुरक्षित हो, मेरे ख्याल से तो नहीं. घर में उसके ही नजदीकी रिश्तेदार उसके लिए खतरा बन जाते हैं, अगर किसी से दो शब्द भी हंस के बात कर ली तो फिर मुसीबत शुरू. बाहर निकलिए तो लोग यूं घूरते हैं जैसे कोई लड़की ना होकर खाने की चीज हो.


नारी मुक्ति मोर्चा और स्त्री अधिकार की बातें करने वाले बुद्धिजीवी और संगठन नारी सम्मान की बजाय केवल नारी अधिकार की बात करते हैं और इसे ही सारी समस्यायों का एकमात्र हल बताते फिरते हैं. मेरी राय में वे पूरी तरह गलत हैं और उनमें से अधिकांश केवल निहित स्वार्थवश स्त्री की अधिकाधिक आजादी के पक्षधर हैं. कई तो इसकी आंड़ में हाई प्रोफाइल कॉलगर्ल और स्त्री देह व्यापार का धन्धा भी चलाते हैं.


दो बातें मौलिक हैं जिसे हर किसी को समझ में आनी चाहिए. स्त्री प्राकृतिक रूप से शारीरिक बल में कम है और पुरुष स्वाभाविक रूप से आक्रामक. तो फिर स्त्री की अधिकाधिक आजादी तो पुरुष के लिए और भी मजे और आसान मजे की बात हो जाएगी. ऐसे में विशुद्ध रूप से अधिकार को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बना के पूरी नारी जाति को बरगलाना कहॉ तक उचित है?


मेरी नजर में यदि कोई वास्तविक रूप से स्त्रियों का भला चाहता है तो उसे केवल स्त्री सम्मान का मामला उठाना चाहिए. स्त्री सम्मान का अर्थ ये है कि स्त्री को कमजोर समझ उसे अधिकारों से नवाजने की कवायद करने की बजाय उसके प्रति श्रद्धा और स्नेह की नजर विकसित करें. अधिकार केवल झगड़े का कारण और कलह का उत्प्रेरक सिद्ध होता है. छीना-झपटी और चालबाजी के लिए आप ज्यादातर अधिकार की लड़ाई को जिम्मेदार मान सकते हैं. लेकिन यदि स्त्री अधिकार की बजाय आप स्त्री सम्मान की बात करें तो अधिकांश समस्याएं खुद ही सुलझ जाएंगी.


स्त्री-पुरुष की समानता के पक्षधरों की बात भी काफी हास्यास्पद लगती है. जब ईश्वर ने स्त्री-पुरुष का विभेद पहले ही पैदा कर रखा है तो आप कौन होते हैं उसे समान करने वाले. और समानता की सारी बातें एक झूठ और प्रपंच के सिवा और कुछ नहीं लगतीं. नैसर्गिक भेद को आप अप्राकृतिक तरीके से कैसे बदल पाएंगे?


इसलिए नजरिया बदलने की जरूरत है ना कि अधिकारों की बात करने की. समाज और परिवार के सामंजस्य को बिगाड़ने की रवायतें खतरनाक हैं. आप केवल सम्मान की बात कीजिए बाकी स्वयं समाज खुद करने में सक्षम है.


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